MA Semester-1 Home Science Paper-I - Advanced Nutrition And Institutional Management - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2693
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

प्रश्न- बड़े समूह की भोजन व्यवस्था पर एक टिप्पणी लिखिए।

अथवा
भोजन सेवा शुरू करने के विभिन्न चरण विस्तार में बताइए।

उत्तर -

विस्तृत समूह के लिए आहार का प्रस्तुतीकरण एवं प्रबन्धन
(Serving Meals for Large Groups and its Management)

(1) कैन्टीन (Canteen)

कैन्टीन के लिए आहार व्यवस्था अधिकतर ठेकों के आधार पर की जाती है। कैन्टीन चलाने के लिए अनुभवी व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। कैन्टीन में अल्पाहार तथा दिन के भोजन की व्यवस्था की जाती है। कैन्टीन के लिए अधिकतर उसी भवन में जगह की व्यवस्था किराये पर हो जाती है।

कैन्टीन में आहार व्यवस्था करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

(i) कैन्टीन की व्यवस्था कहाँ के लिए है- विद्यालय के लिए, कॉलेज कैम्पस के लिए, ऑफिस के लिए या किसी हॉस्पिटल अथवा अन्य स्थल के लिए। (ii) उस संस्थान में जहाँ कैन्टीन चलानी है, कितने सदस्य हैं अर्थात् विद्यालय में छात्रों की संख्या अथवा ऑफिस में कर्मचारियों की संख्या आदि को ज्ञात करना।  (iii) कैन्टीन में दोपहर के भोजन व्यवस्था के लिए कितने लोग अनुबंधित हैं? (iv) यदि कैन्टीन में भोजन व्यवस्था का अनुबन्धन नहीं है तो अल्पाहार की व्यवस्था की जा सकती है। . (v) कैन्टीन में किन-किन चीजों को रखने की माँग हैं? यदि सूखी चीजें रखी जा रही हैं तो बाहर से कितनी चीजें मँगवाई जा सकती हैं और कितनी चीजों को बनाने की व्यवस्था वहीं करनी है। (vi) कैन्टीन में भोजन व्यवस्था तथा अल्पाहार के लिए कितने फर्नीचर का प्रबन्ध करना होगा? (vii) कैन्टीन का किराया तथा कार्य करने वाले कर्मचारियों का वेतन एवं मुनाफे का प्रतिशत जोड़कर खाद्य सामग्री को बेचना पड़ता है। इसके लिए सभी खर्चों को जोड़कर तथा मुनाफे का प्रतिशत जोड़कर खाद्य     सामग्री का मूल्य निर्धारित किया जाता है। (viii) कैन्टीन में कार्य करने वाले सदस्यों की संख्या भी निर्धारित की जाती है। (ix) कैन्टीन चलाने के लिए एक छात्र के भोजन पर कितना व्यय आ रहा है उसकी कीमत का आकलन करना अत्यन्त आवश्यक है। कैन्टीन में कुछ ऐसे भी छात्र होते हैं जो खाने-पीने के पैसे नहीं देते हैं और माँगने   पर झगड़ा करते हैं। अतः कैन्टीन चलाने के लिए खाद्य की कीमत उसी आधार पर निर्धारित करनी चाहिए जिससे कैन्टीन चलाने वाले को घाटा न उठाना पड़े।

बहुत से संस्थानों में कैन्टीन ठेके के आधार पर भी चलाई जाती है, वहाँ पर काम करने वाले कर्मचारियों के दोपहर के भोजन की व्यवस्था वहीं पर होती है। कई बार उस भोजन का पेमेन्ट कम्पनियों को देना पड़ता है, वे सुविधा के रूप में कर्मचारियों को दोपहर का भोजन निःशुल्क प्रदान करते हैं और कई बार कर्मचारी स्वयं उस धनराशि का भुगतान करते हैं, ऐसी स्थिति में भी निश्चित धनराशि के अंदर की कैन्टीन चलाने वाले व्यक्ति को भोजन की व्यवस्था करनी होती है। कुछ कैन्टीन में भोजन की व्यवस्था नहीं होती है केवल जलपान की व्यवस्था का प्रबन्ध होता है। अतः कैण्टीन की प्रकृति सभी संस्थानों में भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है।

(2) अस्पताल (Hospital)

अस्पताल में दूर-दराज के क्षेत्रों से मरीज आते हैं उन्हें वहाँ सप्ताह दो सप्ताह तक रहना होता है, वहाँ मरीजों के अतिरिक्त उसके रिश्तेदारों को भी रूकना पड़ता है। अतः मरीजों के लिए भोजन व्यवस्था विस्तृत स्तर पर की जाती है। अस्पताल द्वारा रोगियों की आहार व्यवस्था का प्रबन्धन करने के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

(i) रोगी को रोग के अनुसार ही आहार दिया जाता है। अतः रोगी किस रोग से ग्रस्ति है, इसका ज्ञान आहार व्यवस्था करने वाले को होना चाहिए। (ii) अधिकांश ऑपरेशन के मरीजों को हल्का भोजन प्रस्तावित किया जाता है। अतः ऐसे रोगियों के लिए ऐसा मीनू बनाना चाहिए जिससे उनका रोग नियन्त्रण में रहे। (iii) हॉस्पिटल में प्रतिदिन मरीजों की संख्या में परिवर्तन होता रहता है। अतः प्रतिदिन रोगियों की संख्या के अनुसार भोजन की मात्रा का निर्धारण करें। (iv) भोजन समय पर पहुँचाने की व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी होने चाहिए। (v) यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि भोजन स्वच्छकर रीति से पकाया गया हो तथा हल्का और सुपाच्य एवं पौष्टिक हो। (vi) भोजन में मिर्च-मसाला और वसा की मात्रा अधिक नहीं होनी चाहिए। (vii) दाल सादी बनानी चाहिए और हरी पत्तेदार सब्जियाँ अवश्य होनी चाहिए। (viii) खाद्य सामग्री की गुणवत्ता अच्छी रखनी चाहिए। (ix) कीमत का निर्धारण खाद्य सामग्री, कर्मचारियों की संख्या तथा अस्पताल के खर्चों आदि को ध्यान में रखकर करें। (x) यदि पूरे दिन के भोजन व्यवस्था का जिम्मा लिया गया है तो नाश्ते में दूध तथा शाम को फल अवश्य दें। तले-भुने पदार्थ रोगी के भोजन में न रखें। (xi) रोगी के मीनू में विविधता रखें परन्तु भोजन गरिष्ठ न होने पाए। (xii) रोगी के लिए भोजन तैयार करते समय उसके लिए उपचारात्मक आहार का प्रबन्ध करना चाहिए। रोग के अनुसार ही पोषक तत्वों को निर्धारित करना चाहिए तथा रोग के सुधार की स्थिति में अधिक पोषक तत्व देकर रोगी को भोजन के माध्यम से शीघ्र अच्छा करने की व्यवस्था करनी चाहिए।

(3) हॉस्टल (Hostel)

हॉस्टल के लिए आहार व्यवस्था करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-

(i) हॉस्टल में छात्रों की संख्या कितनी है? (ii) भोजन की व्यवस्था के लिए वे कितना अदा कर रहे हैं? (iii) कितने समय के भोजन की व्यवस्था करनी है? (iv) भोजन की व्यवस्था करने वाले कितने कर्मचारी हैं? (v) किस लिंग के सदस्य हैं - अर्थात् हॉस्टल में छात्र हैं अथवा छात्राएँ हैं?

छात्रों की संख्या के आधार पर ही भोजन की व्यवस्था करने वाले कर्मचारियों की संख्या होनी चाहिए। आहार व्यवस्था करते समय मीनू साप्ताहिक रूप से बनाना चाहिए। प्रति छात्र कितनी कीमत का भोजन पड़ रहा है इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए। छात्रों द्वारा दी गयी धनराशि के आधार पर ही एक दिन के मीनू की धनराशि निश्चित करनी चाहिए, उसी आहार पर नाश्ते, दोपहर के भोजन तथा रात्रि भोजन में आहार को बाँटकर पूरे दिन में दिये गये आधार की कीमत का निर्धारण किया जा सकता है। भोजन के अतिरिक्त कर्मचारियों की संख्या, उनका वेतन भी उसी धनराशि से निकालना पड़ता है और अन्य खर्चों के अतिरिक्त मुनाफा कितना हो रहा है उसको निर्धारित करके ही हॉस्टल में आहार इकाई को क्रियान्वित किया जा सकता है। हॉस्टल वर्किंग लोगों के लिए है या छात्रों के लिए इस बात को भी ध्यान में रखना आवश्यक होता है।

(4) होटल (Hotel)

होटल वह व्यावसायिक स्थल है जहाँ भोजन का व्यापार होता है और मुनाफे के लिए भोजन तैयार किया जाता है। होटल में भोजन प्रबन्धन करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

(i) होटल में किस प्रकार का भोजन विशेष रूप से प्राप्त होता है-उत्तर भारतीय, दक्षिण भारतीय, पंजाबी आदि। (ii) होटल में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या कितनी हैं। (iii) यदि होटल में एक ही प्रकार का भोजन मिलता है तो अधिक समस्या नहीं होती है क्योंकि गिने-चुने आइटम बनाने पड़ते हैं परन्तु यदि होटल में कई प्रकार के भोजन की व्यवस्था है तो सभी प्रकार के आइटम     की व्यवस्था करनी पड़ती है। (iv) कुछ होटल थाली सिस्टम पर आधारित होते हैं, वहाँ पर दाल, चावल, सूखी सब्जी तथा दही, अचार और रायते की व्यवस्था की जाती है और प्रतिदिन इस मीनू को दोहराया जाता है। इस प्रकार के होटलों में मीनू   में विविधता नहीं होती हैं, थाली की कीमत निर्धारित होती है जिसमें होटल के सभी खर्चे, कर्मचारियों का वेतन तथा लाभ उसी कीमत में सम्मिलित किया जाता है। (v) फाइव या थ्री स्टार होटलों में यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था भी होती है. प्रतिदिन कितने यात्री ठहरे हैं और कर्मचारियों की संख्या आदि को तथा प्रतिदिन आने वाले उपभोक्ताओं को ध्यान में रखकर भोजन की   व्यवस्था की जाती है। बड़े होटलों में वेटर भी पढ़े-लिखे तथा योग्य व्यक्ति रखे जाते हैं जिनके वेतन पर होटलों को अधिक व्यय करना पड़ता है इसलिए भोजन एवं ठहरने वाले यात्रियों के होटल किराये से ही       होटल के खर्चों की पूर्ति होती है। अतः होटल का भोजन अधिक महँगा हो जाता है। (vi) होटल में कितनी सुविधाएँ यात्री को दी जा रही हैं इनके आधार पर भी होटल के भोजन की कीमत बढ़ या घट जाती है। जिन होटलों में एअर कण्डीशन की व्यवस्था है, वहाँ का भोजन महँगा हो जाता है।

सभी होटलों में भोजन भिन्न तरीको से तैयार हो जाता है। ढाबे पर भोजन देशी तरीके से तैयार किया जाता है। जबकि कुछ होटलों में एक ही प्रकार के भोजन की स्पेशलिटी होती है; जैसे- कहीं माँसाहारी भोजन अच्छा मिलता है और कहीं की थाली जिसमें शुद्ध शाकाहारी (दाल, चावल, रोटी, सब्जी तथा दही, अचार, चटनी) भोजन होता है प्रसिद्ध होता है। फाइव स्टार होटलों का भोजन विभिन्न प्रकार का होता है। उसी तरह कई होटलों में साउथ इण्डियन भोजन मिलता है तो कहीं पर उत्तर भारतीय भोजन। अतः होटल किस प्रकार का है उसी आधार पर वहाँ पर भोजन की व्यवस्था की जाती है।

बड़े-बड़े होटलों की व्यवस्था करने के लिए भिन्न-भिन्न विभाग होते हैं-फाइनेन्स विभाग, फ्रन्ट ऑफिस, हाउस कीपिंग, फूड एवं बेवरेज विभाग, एच०आर० विभाग आदि। प्रत्येक विभाग में अपने कार्य बँटे होते हैं। आहार एवं बेवरेज विभाग में बड़े शैफ, छोटे शैफ, मसालची, वेटर आदि शामिल होते हैं जिसका दायित्व भोजन बनाने से लेकर भोजन सर्व करने तक होता है। ग्राहक की माँग के अनुसार भोज्य सामग्री बनाकर दी जाती है। यदि ग्राहक किसी ऐसी सामग्री की माँग करता है जो उस होटल में नहीं बनती है तो किसी अन्य होटल में मँगवा कर उसकी माँग की पूर्ति कर दी जाती है। कुछ छोटे होटल ऐसे भी होते हैं जहाँ नीचे खाने का प्रबन्ध होता है और ऊपर रहने का। वहाँ सभी प्रकार का भोजन बनाया जाता है तथा ग्राहक की माँग को पूरा किया जाता है। होटल किस प्रकार का है उसी आधार पर वहाँ भोजन का प्रबन्ध होता है।

(5) रेलवे एवं एयर लाइन (Railway & Air Lines)

वर्तमान समय में दूर तक चलने वाली रेलों में भी भोजन की व्यवस्था होती है। रेलवे तथा एयर लाइन में अधिकतर भोज्य पदार्थों के पैकेट मिलते हैं। भोजन सूखा अधिक होता है जिससे उसे लाने एवं ले जाने में दिक्कत न हो। भोजन स्टेशन पर ही तैयार करके डिब्बों तथा जहाजों में रखा जाता है। यात्रियों के रिजर्व डिब्बों के आधार पर ही भोजन तैयार किया जाता है। टिकट के साथ ही भोजन के भी पैसे जोड़कर ले लिए जाते हैं। यात्री से अतिरिक्त रूप से भोजन का पैसा नहीं लिया जाता है। रेलवे एवं एयर लाइन वाले इस बात का पूरा ध्यान रखते है कि भोजन की गुणवत्ता बनी रहे। भोजन बनाने तथा उसे पैक करने में स्वच्छता के नियमों को ध्यान में रखा जाता है।

भोजन में सूखी सामग्री, स्नैक में चिप्स आदि के पैकेट दिये जाते हैं। रेलवे एवं एयर लाइन के लिए भोजन प्रबन्ध करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

(i) भोजन स्वच्छता से तैयार किया जाए। (ii) भोजन में मिर्च-मसाला कम हो। (iii) भोजन को उचित प्रकार से पैक किया जाए। (iv) भोजन पौष्टिक हो तथा सन्तुलित हो। (v) भोजन देशी एवं विदेशी पर्यटकों को ध्यान में रखकर बनाया गया हो। (vi) भोजन प्रस्तुत करने वाले कर्मचारियों का व्यक्तित्व आकर्षक तथा साफ-सुथरा हो। (vii) भोजन प्रस्तुतीकरण का विशेष ध्यान रखा जाए। (viii) भोजन सामग्री प्रस्तुत करने वाले बर्तन अच्छे तथा डिस्पोजल हों। (ix) भोजन में सूखी वस्तुएँ अधिक सम्मिलित की जायें। पैकेट बंद सामग्री का प्रयोग भी किया जा सकता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- दैनिक आहारीय मात्राओं से आप क्या समझते हैं? आर.डी.ए. का महत्व एवं कार्य बताइए।
  2. प्रश्न- आहार मात्राएँ क्या हैं? विभिन्न आयु वर्ग के लिये प्रस्तावित आहार मात्राओं का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- संदर्भित महिला व पुरुष को परिभाषित कीजिए एवं पोषण सम्बन्धी दैनिक आवश्यकताओं का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं से आप क्या समझते हैं? दैनिक प्रस्तावित मात्राओं को बनाते समय ध्यान रखने योग्य आहारीय निर्देशों का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  6. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  7. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिये एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  8. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  9. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित आवश्यकता की विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- प्रस्तावित दैनिक आवश्यकता के निर्धारण का आधार क्या है?
  11. प्रश्न- शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व कौन-कौन से हैं? इन तत्वों को स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में वर्गीकृत कीजिए।
  12. प्रश्न- भोजन क्या है?
  13. प्रश्न- उत्तम पोषण एवं कुपोषण के लक्षणों में क्या अन्तर है?
  14. प्रश्न- हमारे लिए भोजन क्यों आवश्यक है?
  15. प्रश्न- शरीर में जल की क्या उपयोगिता है
  16. प्रश्न- क्या जल एक स्थूल पोषक तत्व है?
  17. प्रश्न- स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में अंतर बताइये।
  18. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट किसे कहते हैं? इसकी प्राप्ति के स्रोत तथा उपयोगिता बताइये।
  19. प्रश्न- मानव शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी व अधिकता से क्या हानियाँ होती हैं?
  20. प्रश्न- आण्विक संरचना के आधार पर कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण किस प्रकार किया जा सकता है? विस्तारपूर्वक लिखिए।
  21. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का मानव शरीर में किस प्रकार पाचन व अवशोषण होता है?
  22. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट की उपयोगिता बताइये।
  23. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट क्या है? इसके प्राप्ति के स्रोत बताओ।
  24. प्रश्न- प्रोटीन से क्या तात्पर्य है? मानव शरीर में प्रोटीन की उपयोगिता बताइए।
  25. प्रश्न- प्रोटीन को वर्गीकृत कीजिए तथा प्रोटीन के स्रोत तथा कार्य बताइए। प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के बारे में भी बताइए।
  26. प्रश्न- प्रोटीन के पाचन, अवशोषण व चयापचय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- प्रोटीन का जैविक मूल्य क्या है? प्रोटीन का जैविक मूल्य ज्ञात करने की विधियाँ बताइये।
  28. प्रश्न- प्रोटीन की दैनिक जीवन में कितनी मात्रा की आवश्यकता होती है?
  29. प्रश्न- प्रोटीन की अधिकता से क्या हानियाँ हैं?
  30. प्रश्न- प्रोटीन की शरीर में क्या उपयोगिता है?
  31. प्रश्न- प्रोटीन की कमी से होने वाले प्रभाव लिखिए।
  32. प्रश्न- वसा से आप क्या समझते हैं? वसा प्राप्ति के प्रमुख स्रोत एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - वसा का पाचन एवं अवशोषण।
  34. प्रश्न- वसा या तेल का रासायनिक संगठन बताते हुए वर्गीकरण कीजिए।
  35. प्रश्न- वसा की उपयोगिता बताओ।
  36. प्रश्न- वसा के प्रकार एवं स्रोत बताओ।
  37. प्रश्न- वसा की विशेषताएँ लिखिए।
  38. प्रश्न- पोषक तत्व की परिभाषा दीजिए। सामान्य मानव संवृद्धि में इनकी भूमिका का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- विटामिनों से क्या आशय है? इनके प्रकार, प्राप्ति के साधन एवं उनकी कमी से होने वाले रोगों के विषय में विस्तारपूर्वक लिखिए।
  40. प्रश्न- विटामिन
  41. प्रश्न- विटामिन 'ए' क्या है? विटामिन ए की प्राप्ति के साधन तथा आहार में इसकी कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- विटामिन डी की प्राप्ति के साधन बताइये।
  43. प्रश्न- विटामिन सी की कमी से क्या हानियाँ हैं?
  44. प्रश्न- विटामिन डी की दैनिक प्रस्तावित मात्रा बताइये।
  45. प्रश्न- वसा में घुलनशील व जल में घुलनशील विटामिनों में क्या अन्तर है?
  46. प्रश्न- खनिज तत्वों से आप क्या समझते है? खनिज तत्वों का कार्य बताइए।
  47. प्रश्न- फॉस्फोरस एवं लोहे की प्राप्ति, स्रोत, कार्य व इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- कैल्शियम की प्राप्ति के साधन कार्य तथा इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- जिंक की कमी से शरीर को क्या हानि होती है? इनकी प्राप्ति के साधन उदाहरण सहित समझाइए।
  50. प्रश्न- आयोडीन का महत्व बताइये।
  51. प्रश्न- सोडियम का भोजन में क्या महत्व है?
  52. प्रश्न- ताँबे का क्या कार्य है?
  53. प्रश्न- शरीर में फ्लोरीन की भूमिका लिखिए।
  54. प्रश्न- शरीर में मैंगनीज का महत्व बताइये।
  55. प्रश्न- शरीर में कैल्शियम का अवशोषण तथा चयापचय की संक्षिप्त में व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- आहारीय रेशे का क्या अर्थ है? आहारीय रेशों का संगठन, वर्गीकरण एवं लाभ लिखिए।
  57. प्रश्न- भोजन में रेशेदार पदार्थों का क्या महत्व है? रेशेदार पदार्थों के स्रोत एवं प्रतिदिन की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- फाइबर की कमी शरीर पर क्या प्रभाव डालती है?
  59. प्रश्न- फाइबर की अधिकता से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  60. प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा को तालिका द्वारा बताइए।
  61. प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
  62. प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
  63. प्रश्न-
  64. प्रश्न-
  65. प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  67. प्रश्न- भोजन में मसालों की उपयोगिता बताइये।
  68. प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
  69. प्रश्न- 'भोज्य मिलावट' क्या होती है, समझाइये।
  70. प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया से बनाये जाने वाले पदार्थों का वर्णन कीजिए तथा खमीरीकरण प्रक्रिया के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अनुपूरक व विस्थापक पदार्थों से आपका क्या अभिप्राय है? उनका विस्तृत वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों का फोर्टीफिके शनकि स प्रकार से किया जाता है? वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भोजन की पौष्टिकता को बढ़ाने वाले विभिन्न तरीके क्या होते हैं? विवरण दीजिए।
  74. प्रश्न- अंकुरीकरण तथा खमीरीकरण किस प्रकार से भोजन के पौष्टिक मूल्य को बढ़ाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया किन बातों पर निर्भर करती हैं।
  76. प्रश्न- खमीरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  78. प्रश्न- 'आहार आयोजन' करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  79. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  81. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  82. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  83. प्रश्न- 'आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  85. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये। किशोरी का आहार आयोजन करते समय आप किन पौष्टिक तत्वों का ध्यान रखेंगे?
  86. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझते हैं?
  87. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  89. प्रश्न- कैटरिंग की संकल्पना से आप क्या समझते हैं? समझाइये।
  90. प्रश्न- भोजन करते समय शिष्टाचार सम्बन्धी किन बातों को ध्यान में रखा जाता है?
  91. प्रश्न- भोजन प्रबन्ध सेवा (Catering Service) के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से समझाइए।
  92. प्रश्न- एक गृहिणी अपने घर में किस प्रकार सुन्दर मेज सजाकर रखती है? समझाइए।
  93. प्रश्न- 'भोजन परोसना भी एक कला है।' इस कथन को समझाइए।
  94. प्रश्न- केटरिंग सेवाओं की अवधारणा और सिद्धान्त समझाइये।
  95. प्रश्न- 'स्वयं सेवा' के लाभ तथा हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- छोटे और बड़े समूह में परोसने की विधियों की तुलना कीजिये।
  97. प्रश्न- Menu से आप क्या समझते हैं? विभिन्न प्रकार के Menu को समझाइये।
  98. प्रश्न- बड़े समूह की भोजन व्यवस्था पर एक टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- कैन्टीन का लेखा-जोखा कैसे रखा जाता है? समझाइए।
  100. प्रश्न- बड़े समूह को खाना परोसते समय आप कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखेंगे तथा अपने संस्थान में एक लड़कियों के लिये कैंटीन की योजना कैसे बनाएंगे? विस्तारपूर्वक समझाइए।
  101. प्रश्न- खाद्य प्रतिष्ठान हेतु क्या योग्यताओं की आवश्यकता तथा प्रशिक्षण आवश्यक है? समझाइए।
  102. प्रश्न- बुफे शैली में भोजन किस प्रकार परोसा जाता है?
  103. प्रश्न- चक्रक मेन्यू क्या है?
  104. प्रश्न- 'पानी के जहाज (Ship) पर भोजन की व्यवस्था' इस विषय पर टिप्पणी करिये।
  105. प्रश्न- मेन्यू के सिद्धांत क्या हैं? विभिन्न प्रकार के मेन्यू के बारे में लिखिये।

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